लेखनी कहानी -01-Sep-2022 सौंदर्या का अवतरण का चौथा भाग भाग 5, भाग-6 भाग 7 रक्षा का भारत आना ८भाग २१भ

२५- रक्त दान से बची जान-

श्रवन ने फोन उठाया.........  हेलो...... उधर से आवाज आई। हैलो..... मैं दीपक बोल रहा हूं, उधर से दीपक बोल रहा था। यह दीपक वही था जिसने श्रेया को  रक्तदान किया था। श्रवन दीपक का नाम सुनते ही बहुत खुश हुआ और खुशी से बोला- हाय दीपक कैसे हो? कहां हो ? इस समय तुम। श्रवन ने पूछा।- दीपक ने कहा- मैं अस्पताल में ही हूं, और तुमसे मिलने आ रहा हूं।

श्रवन ने बड़ी खुशी से कहा- हां हां ठीक है,आओ। मैं यहीं कमरे में हूं। कहकर श्रवन ने फोन रख दिया, और दीपक का इंतजार करने लगा। दीपक भी श्रेया के लिए चिंतित था। फोन पर तो ऐसी कोई बात हुई नहीं थी। इसलिए अस्पताल में आते ही वह सीधे श्रेया के कमरे में गया और श्रवन और श्रेया से मिलने के बाद दीपक ने आज श्रेया के बारे में सब कुछ जानना चाहा।क्योंकि उस दिन तो बहुत जल्दी में था, जो खून देकर तुरंत चला गया था। आज वह श्रवन  से श्रेया के बारे में सब कुछ जानना चाहता था। श्रवन भी सोच रहा था, कि दीपक को यह सब जानने में इतनी दिलचस्पी क्यों है?  लेकिन वह समझ नहीं पा रहा था। कि दीपक यह सब क्यों जानना चाहता है? परंतु दीपक बार-बार श्रेया के बारे में पूरी बात जानना चाहता था। तो श्रवन ने बताया कि कई साल पहले हमारी शादी हुई थी। शादी के बाद हम सब लोग बहुत खुश थे। कुछ दिन तो ऐसे ही गुजर गए कि घर में सभी ने बच्चे के लिए बोलना शुरु कर दिया।

हम लोग भी मां-बाप बनना चाहते थे। लेकिन काफी इंतजार के बाद जब कोई सफलता हासिल नहीं हुई, तो हम लोग चिंता में पड़ गए। और इधर उधर डॉक्टर्स की सलाह लेने लगे। लेकिन अब जब हम बच्चे की चाहत में बहुत परेशान होने लगे थे।अब हम दोनों तो परेशान थे ही,  उसके अलावा मां हर समय श्रेया को बोलती और वह शब्द श्रेया को बर्दास्त नहीं होते थे,वह रोती रहती। मुझसे  श्रेया का रोना देखा नहीं जाता था। मुझे फिर से कोई डॉक्टर बताता और मैं श्रेया को लेकर उसी के पास  जाता। डॉक्टर को दिखाने के  कुछ दिन दवा चलाते। इसी  विश्वास के साथ कि सब ठीक हो जाएगा। लेकिन कोई असर नहीं होता और सब दबा बंद कर देते। फिर नए सिरे से किसी को दिखाते फिर उसकी दवा करते करते निराशा और आशा के भंवर में फंसे रहते। जब कुछ नहीं होता,तो दूसरे डॉक्टर के पास लेकर जाते, फिर से सब ठीक निकलता, श्रवन को दो साल हो चुके थे। ये सब करते करते। मां का चिंतित होना भी बाजिव था। श्रवन बता ही रहा था, कि दीपक का फोन बजने लगा। मैंने देखा कि दीपक की पत्नी का फोन था। वह अपने पिता के पास बैठी थी, जो कि अस्पताल के मालिक थे। ऐसा लगा। कि दीपक ने कमरे का नंबर बताकर अपनी पत्नी को भी श्रेया के पास बुला लिया।

फोन रखने के बाद दीपक ने फिर पूछना चाहा। श्रवन कुछ कहता। इतने में दीपक की पत्नी वहां आ गई।उसके बाद दीपक ने अपनी पत्नी से श्रवन की जान पहचान करवाई। और फिर श्रेया से मिलवाया।श्रेया और दीपक की पत्नी ने जब एक दूसरे को देखा।तो वह दोनों देखती ही रह गई। श्रेया ने कहा- रानी तुम यहां!  रानी ने जवाब में कहा- तो वह श्रेया तू है। जिसके बारे में दीपक ने मुझे बताया था। दोनों को यह समझते देर न लगी कि श्रेया और रानी एक दूसरे को जानते हैं, और उनकी बातचीत से ऐसा लगा कि यह दोनों काफी अच्छी दोस्त लग रही थी।  रानी ने पूछा- श्रेया तेरी बच्ची कहां है ? मुझे उसे खिलाना है। श्रेया ने श्रवन की ओर देखा। श्रवन उठा और बोला मैं अभी उसको लेकर आता हूं। श्रवन बाहर गया। और अपनी मां की गोद से अपनी बेटी को लेकर आया । उसने रानी की गोद में अपनी बेटी को दे दिया था। रानी बच्चे को गोद में पाकर खुशी से पागल हो गई। उसकी खुशी देख कर श्रेया और श्रवन  समझ गये।  कि रानी के साथ भी में कुछ प्रॉब्लम है। और यह भी बच्चे के लिए परेशान है। दीपक और रानी बच्चे को देखकर बहुत खुश थे।उनके चेहरे की खुशी यह जाहिर कर रही थी, कि वह बच्चे के लिए परेशान हैं। अभी श्रवन की बेटी को बारी-बारी से कभी रानी और कभी दीपक खिला रहा था। उन दोनों को बच्चे के साथ खेलने में बहुत मजा आ रहा था। रानी तो बच्चे को देखते ही सब कुछ भूल चुकी थी। बहुत देर हो जाने के बाद दीपक ने रानी से घर चलने को कहा- दीपक की बात सुनते ही रानी का मुंह उतर गया। क्योंकि वह तो अभी बच्चे के साथ खेलना चाहती थी।उसका मन यहां से कहीं जाने को नहीं कर रहा था। रानी ने दीपक से कुछ देर और रूकने के लिए कहा- दीपक मान गया क्योंकि रानी के चेहरे पर जो खुशी थी वह देखकर दीपक बहुत खुश था। वह रानी को इसी तरह खुश देखना चाहता था। परंतु वह रानी को ये खुशी नहीं दे पा रहा था।  रानी को बच्चे के साथ देख कर बहुत खुश हो रहा था।कभी खुद तो बच्चे को खिला नहीं पा रही थी लेकिन रानी को खिलाते देख बहुत खुश हो रही थी। रात काफी हो चुकी थीं। दीपक ने कहा- हम लोग अभी घर चलें तुम कल फैलाकर बच्चे को खिला देना अभी रात बहुत हो चुकी है, दीपक ने कहा- तो घर चलते हैं, श्रेया ने दीपक की बात मान ली,और श्रेया को उसकी बेटी देकर प्रणाम करके चली आती है।जाते हुए हमने कहा-कि हम कल फिर आएंगे। और रानी दीपक के साथ चल पड़ी, और रानी के जाने के बाद श्रवन बेटी को लेकर बाहर गया। उसे मां को देकर आया और आराम करने के लिए लेट गए, क्योंकि रात बहुत हो चुकी थी ।सब सभी को सोना था। कुछ ही देर में श्रेया सो गई। और श्रवन भी सोने लगा था। दिन भर के थके हुए थे उनको नींद आ रही थी। आंख बंद करते ही दोनों निद्रा देवी की गोद में समा गए।

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9 Comments

Mithi . S

18-Sep-2022 04:49 PM

Achhi rachana 👌

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Pallavi

17-Sep-2022 05:02 PM

Very nice

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Priyanka Rani

17-Sep-2022 04:34 PM

Beautiful

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